विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आज की जरूरतें हैं। आज मानव ने अपने बौद्धिक कौशल एवं परिश्रम के बल पर इन दोनों ही क्षेत्रों में ऐतिहासिक प्रगति हासिल की है। आज हमारा परचम अनंत आकाश में लहरा रहा है। चंद्रमा को यूं तो मामा होने का श्रेय दिया जाता है ,परंतु अंतरिक्ष के संदर्भ में चंद्रमा तक मानव की पहुंच एक मील का पत्थर साबित हुई। भारत जोकि प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, आज भी अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने एवं सुलझाने में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। हमने अपने प्रतिभावान वैज्ञानिकों की सहायता से चंद्रमा तक पहुंचने में भी विजय हासिल की ।चाहे चंद्रयान प्रथम मिशन हो या चंद्रयान द्वितीय ।चंद्रमा पर मौजूद रहस्य को सुलझाने में दोनों का ही विशेष योगदान रहा। चंद्रयान प्रथम ने चंद्रमा पर पानी की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत चंद्रमा पर पानी की खोज करने वाला पहला देश बना। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हैं भारत ने 22 जुलाई 2019 को चन्द्रयान-2 मिशन लॉन्च किया।
चंद्रयान-2 चंद्रयान-1 के बाद भारत का दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान था,जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया। अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। इन सब का विकास इसरो द्वारा किया गया है।भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार 02:43 अपराह्न को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया। हालांकि चंद्रयान-2 का लैंडर सही जगह ना उतरने के कारण चंद्रयान-2 मिशन उतना सफल नहीं हो पाया ,जितनी वैज्ञानिकों को आशा थी। किंतु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान निरंतर अपने मिशन में लगा हुआ है और इसरो ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-3 की घोषणा की है, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।
आलेखकृत
अभिनव पंत
कक्षा 9