बाबा केदार की तथ्यात्मक जानकारी के लिए पढ़िए कक्षा सातवीं की छात्रा भावना जोशी द्वारा लिखित विशेष आलेख
जो महागिरी हिमालय के केदार घाट पर सदा निवास करते हुए मुनीश्वरों द्वारा पूजित होते हैं तथा देवता एवं असुर भी जिनकी पूजा करते हैं, उन कल्याण कारक भगवान श्री केदारनाथ का सर्वप्रथम मैं स्मरण करते हुए श्रद्धा से प्रणाम करती हूं।
जैसा कि सर्व विदित है कि भारतवर्ष के ‘देवभूमि’ के नाम से प्रसिद्ध राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आदि देव भगवान शंकर का एक अद्भुत भव्य मंदिर स्थित है ,जो केदारनाथ के नाम से जाना जाता है। भगवान केदारनाथ का मंदिर पत्थरों से बना है । इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है। केदारनाथ की ऊंचाई समुद्र तल से 3593 मीटर है और इस मंदिर का निर्माण पांडव वंश के राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने कराया था। यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि इस मन्दिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
इस मंदिर का नाम सतयुग के राजा केदार के नाम पर पड़ा था ।यह आश्चर्य की बात है इस मंदिर का निर्माण इतनी ऊंचाई पर कैसे हुआ यह आज तक कोई भी नहीं जान पाया। मान्यता है कि केदारनाथ के साथ बद्रीनाथ के दर्शन करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिंदुओं का यह प्रसिद्ध मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदारों में भी एक है ।यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। स्वयंभू शिव का अति प्राचीन यह मंदिर प्रकृति की गोद में बसा स्वर्ग से भी सुंदर स्थान है, जहां साक्षात शिव विराजमान हैं।
आलेख कृत -भावना जोशी
कक्षा-७