घर की है मर्यादा बेटी
इनका तो कल्याण करें
और मंदिरों में चंदे बाद में
पहले नारी का सम्मान करे
सिंह सवारी करती नारी
जहां असुरों के संहार में
बहु को सम्मान नसीब नहीं है
ऐसे हिंदुस्तान में
ये वो धरती है
जिसे मां दुर्गा का वरदान है
कभी वो लक्ष्मीबाई बनी
कभी रजी़यासुल्तान है
नारी हर घर ग्राम की
दुनिया को संदेशा है
वही है नायडू ,वही कल्पना
वही तो मदर टैरेसा है
बहु को सम्मान नसीब नहीं
ऐसे हिंदुस्तान में।
21वी सदी में दुनिया पहुंच गई है,
आज भी नारी अपना अस्तित्व खोज रही है।
क्या हम सब के लिए ये एक शर्मनाक विषय नहीं है।जहां पुरी सृष्टि का अस्तित्व नारी से है और आज उसी नारी को अपना अस्तित्व खोजना पड़ रहा है।
इसीलिए मैं आप सभी से एक निवेदन करना चाहती हूं।
हर फूल से हर कली से
निवेदन मेरा गली-गली से
डाल-डाल से ,पात-पात से
हर मजहब, हर जात से
कल-कल करते, नदी नहर से
गांव-गांव से शहर-शहर से
और निवेदन क्या है अब आप ये देखिए
वो ही सुने मुझको, जिनके अंदर स्वाभीमान है
नाम हिंदुस्तानी जिनका मज़हब हिंदुस्तान है
बंद करो अपमान ये
खेल नहीं खिलौनों का
नारी का सम्मान है
कालीन नहीं बिछोने का
अरे ये तो नारी का प्यार है
इसलिए संसार है
कमजोर, अबला नहीं उसका नाम है
ना ही हमेशा सहना उसका काम है
चार कदम तुम आगे बड़ो तो
पांच कदम पीछे होंगे
पर रुकने का तुम नाम न लो
क्योंकि तुम ही विजय होगें
उंगलियां हमेशा ही उठेंगी
दुनिया तुझसे रूठेगी
पर जब तुम होगी,
उसे शेष शेखर पर,
तेरे लिए झुकाने पड़ेंगे उनको अपने सर |
धन्यवाद!!!!
नाम- गायत्री जोशी
कक्षा -12