इजा।कतू दिन है ग्यान तेकू देखी।
तेके याद छः,जब तू मेही फ्राक लाछी।भौत ढिल छः ऊ।तूल बदलण न दे।
ऊ आज लै मेर दगड छः।
जब मै अस्पताल मे छि तूल रीस करी ,हिट घर हिट साथ रून।पु लै खाली।अब न पु भल लागन,तेल हू कुनन भौत।
इजा ओ इज अब तूल याद ऊछी भौत।
इजा भौत दिन है ग्यान देखी यार।
लेखिका-हेमलता पंत
पुत्र का नाम- प्रणव पंत कक्षा- प्रेप २