जब भीषण गर्मी के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो काले- काले घने बादल पानी से भरे हुए आकाश में छाने लगे हैं। तेज हवाएँ चलने लगी हैं मानो वह काले बादलों को आने का निमंत्रण दे रही हों। हवाएँ चलने पर लोगों के घरों के दरवाजे व खिड़कियां खुलने लगे हैं और लोग प्रसन्नता पूर्वक घरों से बाहर निकल कर आकाश की तरफ देखने लगे हैं।आंधी चलने लगी है जिसके कारण पेड़ झुके हुए से प्रतीत हो रहे हैं और ऐसा लग रहा है मानो शीश झुकाकर बादलों का स्वागत कर रहे हैं । जल की बूंदों के लिए व्याकुल लताएँ गुस्से से मेघ से शिकायत कर रहे हैं। बादलों के आने पर तालाब उमड़ आया है जो अपने पानी से मेघ के चरणों को धोना चाहता है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रकृति के द्वारा ऐसा सम्मान किया जाने पर बादलों का हृदय भी द्रवित हो गया है और वह झर-झर कर बरसने लगे हैं जिससे धरती माँ का ऑंचल पानी व प्रसन्नता से भीग गया है।
लेखिका – आरती मवाड़ी
कक्षा 9