पूरे साल भर के इंतज़ार के बाद जब बादल आए तो ग्रामीण वासियों ने बादलों का स्वागत ठीक उसी प्रकार से किया जैसे कोई अपने मेहमान का स्वागत करता है। बादल मेहमान की तरह बन- ठन कर सज – धज कर आए हैं। हवा उनका स्वागत नाचकर व गाकर कर रही है । बादलों को देखने के लिए पूरा गाँव उतावला हो रहा है इसलिए सभी ने अपने घरों के दरवाज़ों की खिड़कियां खोल दी हैं। आंधी चल रही है और धूल इधर-उधर भागने लगी है, उस धूल का भागना ऐसा लग रहा था मानो कोई लड़की अपना घाघरा संभालकर घर की तरफ भाग रही है। साल भर की गर्मी सहकर मुरझाई हुई लता दरवाज़े के पीछे चिपकी खड़ी थी । तालाब भी पानी से लबालब भरा हुआ ऐसा लहरा रहा था कि मानो वह बादलों के स्वागत के लिए परात में पानी भर कर लाया हो। चारों ओर बादल गरजने लगे ,बिजली चमकने लगी और झर- झर पानी बरसने लगा। सभी खुश हो गए। पेड़ पौधों की पत्तियाँ लहलहाने लगी, फूल खिलने लगे और चारों तरफ हरियाली फैल गई। वर्षा खुशी के रूप में ऑंसुओं सी बहने लगी और चारों तरफ ग्रामवासी नाचने गाने लगे सभी खुशियाँ मनाने लगे।

लेखक – भावेश जोशी
कक्षा 9






















