दशहरा हिंदू सनातन धर्म में मनाया जाने वाला एक अतिमहत्वपूर्ण त्योहार है।इस पावन पर्व को विजय दशमी के रूप में भी जाना जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह त्योहार बुराई की दुर्शक्ति पर अच्छाई की विजय का द्योतक है । हम सुनते आए हैं कि बुराई कितनी भी बड़ी, कितनी भी प्रबल क्यों न हो एक न एक दिन वह अच्छाई के आगे घुटने ज़रूर टेकती है।जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है। रामायणानुसार माना जाता है कि भगवान राम ने असुरों के प्रतापी राजा रावण से घोर संग्राम किया और उसे पराजित कर यह सिद्ध किया था कि बुराई अच्छाई के आगे हमेशा बौनी ही रहेगी। दशहरा सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि असत्य के ऊपर सत्य की जीत है। अधर्म पर धर्म की जीत है और अंधकार पर प्रकाश की जीत है। लेकिन अगर हम आज के समय पर प्रकाश डालें तो यहां अच्छाई और ईमानदारी से कार्य करने वाले श्रमजीवी लोग इस रहे हैं। झूठ और फरेब का कारोबार करने वाले फल फूल रहे हैं। यहां बुराई के सामने अच्छाई को झुकना पड़ रहा है ।इस युग में भाई भाई की हत्या कर रहा है परिवार के लोग आपस में वैमनस्य का भाव रख रहे हैं।आज के लोग हमारे महापुरुषों द्वारा किए महान कार्य को भूल चुके हैं ।क्या उन्होंने ऐसे ही स्वतंत्र भारत का सपना देखा था? जहां बुराई अच्छाई पर भारी पड़े ।आज का मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी हद तक भी गिरने को तैयार है ।क्या अभी भी है बुराई पर अच्छाई की जीत ? मुझे लगता है आज के समय में बुराई पर अच्छाई की जीत नामुमकिन तो नहीं पर कठिन अवश्य है।
भूमिका जोशी
कक्षा- ११