‘मेघ आए’ कविता में कवि ने प्रकृति – सौन्दर्य का सजीव एवं श्रृंगारिक चित्रण किया है। इसमें मेघों को सजे – सँवरे अतिथि दामाद के समान दिखाया गया है। बादलों के आने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे वर के आगमन से प्रसन्न होकर हवाएँ चारों ओर आनन्द में जैसे दौड़ लगा रही हों, हवा के झोंकों से घरों के खिड़की – दरवाज़े खुलने लगते, उसी प्रकार वर के आगमन पर दुल्हन की बहनें स्वागत के लिए दरवाज़े -खिड़की खोल देती हैं।
मानो गाँव में शहर से कोई नया अतिथि आया हो, पेड़ भी उचक – उचककर झाँकने लगे, आँधी ऐसे ज़ोरों से चली, मानो कोई ग्रामीण बाला (लड़की)घाघरा उठाए दौड़ पड़ी हो, नदी उसे देखने के लिए मानो ठहर गई हो।
पीपल का बूढ़ा पेड़ बादलों के स्वागत में झुक सा गया है। जैसे वर के आने पर बड़े बूढ़े स्वागत के लिए खड़े रहते हैं। अंत में ज़ोर-ज़ोर से वर्षा होने लगती है।
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लेखिका- भावना जोशी
कक्षा -9