माँ कैसी भी हो सबके लिए सबसे प्यारी होती है माँ
हर ख्वाहिशों को मार कर सब पूरा करती है माँ
कितना भी डाँटे सख्ती करे
फिर भी सोने के लिए याद आती है माँ
जो सुकून तेरी गोद में है ना माँ
वह सुकून कहीं नजर आता नहीं है माँ
खुद माँ बनकर यह एहसास जाना है माँ
इतना आसान नहीं है होना माँ
क्या – क्या नहीं किया तूने मेरे लिए माँ
माँ बनने पर सब याद आता है माँ
हर डाँट के पीछे छुपे हुए राज को जो जाना है माँ
जब खुद वही कर रहे अपने बनने पर माँ
यह शब्द दो अक्षर का है माँ
पर लिखने लगूँ तो कभी खत्म ना होगा यह शब्द माँ।
लेखिका- कमला पंत
पुत्र का नाम- हर्षवर्धन पंत