यह युद्ध का युग नहीं,
युग है शांति के स्थायित्व का।
समय द्वेष और हिंसा का नहीं,
समय है प्रगति के दायित्व का ।
इतिहास दोहराने की जगह,
स्वर्णिम भविष्य बनाना है।
संपूर्ण विश्व को दोबारा,
एक परिवार बनाना है।
राग द्वेष का रास्ता छोड़,
हमें बुद्ध का मार्ग अपनाना है।
हम निकल पड़े हैं प्रण करके,
अपना तन मन अर्पण करके,
जिद है एक सूर्य उगाना है।
पर्वत से ऊंचा जाना है।
एक भारत नया बनाना है।
एक भारत नया बनाना है।
चाहे विष कोई भी फैले
हम शंकर बन पी जाएंगे
मानवता की रक्षा को
हर संकट से लड़ जायेंगे
जी-20 से टी-20 तक
परचम हमें लहराना है
लोकतंत्र की आत्मा को
फिर जीवंत बनाना है
क्योंकि हम निकल पड़े हैं
प्रण करके
अपना जीवन अर्पण करके
जिद है एक सूर्य उगाना है
अंबर से ऊंचा जाना है
एक भारत नया बनाना है
नाम-अभिनव पंत
कक्षा-10