भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है ।इस दिन देश के संविधान को यथा नियम अपनाया गया था ।इस दिवस का भारत के इतिहास में बहुत बड़ा महत्व है ।इसकी महत्वता का अनुमान हम इस बात से लगा सकते हैं कि जब 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था, तब हमारे पास देश का संचालन करने के लिए कोई नियम नहीं था, न कोई कानून व्यवस्था स्थापित थी ।इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए सभी नेताओं ने संविधान सभा का गठन किया और इस तरह भारतीय संविधान का निर्माण हुआ।
संविधान सभा में कई सदस्य थे। परंतु डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जो निर्मात्री समिति के अध्यक्ष थे। वे सबसे प्रमुख रहे । उनकी प्रमुखता समिति में उनके ऊंचे पद के कारण ना होकर उनके ऊंचे विचारों और कार्यों के कारण थी। यही कारण रहा है कि साल 2015 में डॉक्टर अंबेडकर के 125 वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था। हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि हमारा भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लंबा लिखित संविधान है ।इस संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा ।यह सर्वप्रथम 26 नवंबर 2049 को पूरा हो गया था ।25 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ ।
आज इस आलेख को लिखने का मेरा उद्देश्य है कि हम सविधान दिवस को मनाने के पीछे के महत्व से अवगत हों और प्रत्येक नागरिक संविधान के मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को उत्तरोत्तर बढ़ाएं।
आलेख कृत -हर्षित जोशी
कक्षा-१०