आज शुरू हुआ है मेरे जीवन का एक अध्याय नया।
बोझ किताबों का लेकर आज से मैं स्कूल गया।
छोटे से इन कंधों पर क्यों डाला है इतना भार,इस दुनिया में आए मुझको साल हुए हैं अभी चार।
सब कहते पढ़ लो, लिख लो, वरना बन जाओगे खराब।
मैं क्या जानूं पढ़ना- लिखना और क्या जानू आंखर चार।
क्या होती है एबीसीडी और क्या होता है आ से अनार।
मैं तो बस इतना जानू कि क्या होता है मां का प्यार।
समझ नहीं पाया था अब तक अपने खेल खिलौनों को छुपाता, हंसता धूम मचाता रोज ही था कुछ भी लेने को।
पहले मां कहती थी सो जा मेरे लाल अभी अंधेरा है।
अब कहती है उठ तुझे भागे बनाना तेरा है।
टीचर कहती आए हो लेट, कर देती बंद स्कूल का गेट ।
किसी ने यह स्कूल बनाएं क्यों हमको स्कूल नहीं जाना है,
ना बनना है हमें डॉक्टर, ना बनना है हमें इंजीनियर ,
छुट्टी कर दो अब हम सबकी बहुत हुआ अब यह फियर।
नाम-सागर उप्रेती
कक्षा-10