मां होती तो ऐसा कहती
हुआ सवेरा कहकर माँ
उठ जा लाल कहती माँ
एक पुच्ची से मुझे उठाती
दो डब्बे मुझे भिगाती
जब मैं रोता मुझे मेरी मनपसंद चीज दिलाती
कहती अब हो जा तैयार स्कूल को भेजती
अपनी छांव से मुझे ढकती
रोंदू लाल है मुझे बुलाती
खेल-खेल में मुझे हॅंसाती
बीमारियों से मुझे बचाती
सपने मुझे नए दिखाती
प्यार से अपना हाथ फेरती
और प्यार से मुझे सुलाती।
लेखिका- दीपा शर्मा
पुत्र का नाम- सौरभ शर्मा