कवि ने इस कविता में मेघ का अत्यंत सुंदर चित्रण करते हुए उनकी तुलना घर आए दामाद से की है। जिस प्रकार दामाद आते हैं उसी प्रकार काले मेघ भी बन-ठन के आते हैं।
मेघ अपने साथ हवा के झोंके लाते हैं जिससे खिड़की दरवाज़े खुल जाते हैं। ठीक उसी प्रकार वर के आने पर वधू की बहनें वर के स्वागत के लिए खिड़की दरवाज़े खोलती हैं।
जब दामाद आते हैं तो लोग बड़े-बूढ़े,नौकर चाकर सभी उनका उत्साह से स्वागत करते हैं। बादलों के आने पर बूढ़ा पीपल और तालाब उनके आने से उल्लास से भर उठते हैं।
जब बादलों के साथ हवा चलती है तो बड़े पेड़ भी झुक जाते हैं मानो पेड़ बादलों का झुक कर स्वागत कर रहे हों। फिर मेघ से झर -झर कर वर्षा होने लगती है।
लेखिका-आकांक्षा पांडे
कक्षा – 9