महाकवि कालिदास का हिमालय को देवतात्मा कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं क्योंकि भारत की प्राकृतिक विविधता का उल्लेख जब भी होता है तब हिमालय का उल्लेख भी अवश्य ही होता है और उसमें हिमालय का स्थान सर्वोपरि है.
हमें गर्व है हिमालय पर, हिमालय हमारी शान है ,चौकीदार है ,रक्षक है, मनमोहक है, आन और बान है इसीलिए मेरा भारत महान है ।हिमालय की ऐसी प्राकृतिक मनोरम का वर्णन राष्ट्रकवि दिनकर जी ने कुछ इस तरह किया है.
मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार दिव्य गौरव विराट पौरूष के पूंजीभूत ज्वाल मेरी जननी के हिमकीरीट मेरे भारत के दिव्य भाल मेरे नगपति मेरे विशाल.
हिमालय को भारत का ताज कहा जाता है। शायद इसीलिए की जिस प्रकार एक राजा अपनी प्रजा की पूर्ण निष्ठा से रक्षा करता है व सुविधाएं प्रदान करता ह उसी प्रकार हिमालय राज भी भारत चीन की सीमा के रूप में और ठंडी हवाओं से रक्षा करता है और शुद्ध पेयजल तथा अन्य जड़ी बूटियां प्रदान कर एक कर्तव्यनिष्ठ उदार राजा के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाता है।
हिमालय दो शब्दों के मेल से बना है ,’हिम’और ‘आलय’अर्थात बर्फ का घर। हिमालय शिव का तपोस्थल भी कहा जाता है ।हिमालय के शांत वातावरण में ही महादेव शिव ने अपनी तपस्या करी थी। कहा जाता है कि हिमालय भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान भी है।
हिमालय हिंदुओं का धर्मस्थल माना जाता है जहां हर वर्ष न जाने कितने भक्त दर्शन हेतु आते है।
प्राचीन काल से ही हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक होने के साथ-साथ पोषक भी रहा है इसी कारण भारतीय साहित्य में हिमालय का गुणगान लगभग सभी कवियों ने किया है।
यह पर्वतमाला भारत के उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर फैली हुई है इसकी कुल लंबाई लगभग 2500 किलोमीटर है तथा चौड़ाई लगभग 350 किलोमीटर है। हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र प्रमुख है। हिमालय का संपूर्ण क्षेत्रफल लगभग 500000 वर्ग किलोमीटर है इसमें 15000 ग्लेशियर स्थित है।
हिमालय ऋषियों और संतों की तपोभूमि है। हिमालय एक कर्तव्यनिष्ठ सेनापति की भांति दुश्मन देश से भारत की रक्षा करता है ।तरह-तरह की जड़ी बूटियां प्रदान करता है जो कई बीमारियों का इलाज है।
आजकल ग्लोबल वार्मिंग या तापमान बढ़ने से हिमालय के हिमखंड या ग्लेशियर का लगातार पिघलना शुभ संकेत नहीं है इन हिमखंडों के तेजी से पिघलने से नदियों व समुद्र का जलस्तर प्रतिदिन बढ़ रहा है जिसके कारण समुद्र तट पर बसे शहर ,गांव पर सुनामी और बाढ़ का खतरा बना रहता है। 2019 की माने तो कर्नाटक को बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसमें न जाने कितने परिवार उजड़ गए थे। इसी वर्ष अधिक वर्षा के चलते बिहार जैसे अन्य राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ा ।
प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हिमालय का संरक्षण महत्वपूर्ण है। संरक्षण करने के लिए हमें जागरूकता आंदोलनों का आयोजन करना चाहिए। जिसमें लोगों को जागरूक किया जा सके कि कैसे हम लोग अपने आराम के लिए हिमालय को प्रदूषित कर रहे हैं और हम ये सब चीजे रोकनी होगी । पेड़ों के कटने से धरती को तापमान में हर वर्ष बढ़ोतरी हो रही है। जिसके कारण बर्फ ज्यादा तेजी से पिघल रही है ।इसी प्रकार के अन्य उपकरणों के उपयोग से क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस निकलती है जिससे ग्रीन हाउस इफेक्ट में बढ़ोतरी हो रही है ।जिसके कारण हिमालय का तापमान सामान्य से कई अधित बड़ा हुआ है।
इन सब आपदाओं और हिमालय को बचाने हेतु हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और हिमालय को प्रदूषण रहित रखना चाहिए ।
यह हमारा कर्तव्य है कि हम भारत का ताज उसकी शान हिमालय को बचाएं ।पेड़ अनावश्यक न कटे ।जंगली जानवरों का शिकार न करें और अपने दोस्तों को और अन्य देशवासियों को जागरूक करे कि वे भी हिमालय बचाओ मुहिम का हिस्सा बनें और अपनी ओर से हिमालय को बचाने में योगदान दें।
आलेख कृत- आंकाक्षा जोशी
कक्षा-१२